अक्षय कुमार की बहुचर्चित फिल्म “लक्ष्मी” आखिर आज ओटीटी प्लेटफार्म डिज़्नी + हॉटस्टार पर रिलीज़ हो गयी|
फिल्म अपने रिलीज़ के बहुत पहले से ही कई कारणों से चर्चा में थी| फिल्म के बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित होने का सबसे बड़ा कारण है अक्षय का एक ट्रांसजेंडर का किरदार निभाना | अक्षय पहली बार ऐसा रोल कर रहे है और उन्होंने खुद ये कहा है की ऐसा किरदार उन्होंने पहले कभी नहीं निभाया |
लक्ष्मी का नाम पहले “लक्ष्मी बॉम्ब” था लेकिन कुछ लोगों ने जब अपनी धार्मिक आस्था का हवाला दिया तो फिल्म मेकर्स ने इस फिल्म का नाम लक्ष्मी करने का फैसला लिया| “लक्ष्मी” साउथ की सुपरहिट फिल्म मुन्नी 2: कंचना का ओफ़फिशिअल हिंदी रीमेक है|
कंचना एक तमिल फिल्म है जो 2011 में रिलीज़ हुई थी और बहुत सफल रही थी | लक्ष्मी भी उसी तर्ज़ पर बनी एक हॉरर कॉमेडी है| अब चूंकि बॉलीवुड में हॉरर कॉमेडी बनाने का कोई खास चलन नहीं है इसलिए भी लक्ष्मी एक खास फिल्म बन जाती है|
लक्ष्मी को डायरेक्ट किया था राघव लॉरेंस ने जिन्होंने कंचना (2011) को न सिर्फ लिखा था बल्कि उसमे मुख्य भूमिका भी निभाई थी | राघव इसी के साथ बॉलीवुड में, डायरेक्शन के क्षेत्र में पदार्पण कर रहे है|
बॉलीवुड के नामी फिल्म अभिनेता तुषार कपूर भी इस फिल्म के साथ प्रोडक्शन की दुनिया में कदम रखने जा रहे है | जैसा की हम सभी जानते है की उनकी बड़ी बहन एकता कपूर बहुत पहले से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सक्रिय है|
लक्ष्मी एक ट्रांसजेंडर भूत लक्ष्मी (शरद केलकर) की कहानी है। शक्तिशाली विधायक शंकर (तरुण अरोड़ा) अवैध रूप से जबरदस्ती उसकी जमीन छीन लेता है और उसे उसके पूरे परिवार के साथ मार डालता है।
दूसरी ओर आसिफ (अक्षय कुमार) भूत से ना डरने वाला व्यक्ति है| वो उन अंधविश्वासी लोगों का विश्वास भी दूर करता है जो ढोंगी बाबा के कहने पर भूतों पर विश्वास करने लगते है | आसिफ एक संस्था भी चलाता है जो लोगों को अंधविश्वास से बचाने का काम करती है |
अक्षय अपनी पत्नी किआरा अडवाणी के साथ हंसी ख़ुशी रह रहा है | इन दोनों के साथ में रहता है १० साल का एक बच्चा शान जो आसिफ के भाई और भाभी का बेटा है जो एक रोड एक्सीडेंट में गुज़र गए है |
अक्षय ने किआरा के साथ भाग कर शादी की है इसलिए उसके ससुर (राजेश शर्मा) उसे पसंद नहीं करते है | आख़िरकार अपनी शादी की २५ वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में किआरा की माँ आसिफ को अपने गर पर रहने के लिए बुला ही लेती है और किसी तरह अपने पति को भी मना लेती है |
लक्ष्मी विधायक शंकर से बदला लेना चाहती है और ऐसे में वो आसिफ के शरीर को अपना घर बना लेती है | लक्ष्मी का सिर्फ एक ही मकसद है ओर वो है विधायक शंकर से बदल ओर अपने इस बदले को पूरा करने के लिए उसे अक्षय की मदद चाहिए|
क्या होता है जब लक्ष्मी, आसिफ के शरीर में घर कर लेती है और इस से अक्षय की लाइफ में क्या-क्या परिवर्तन आते है| साथ ही साथ क्या लक्ष्मी अपना बदला ले पाती है या नहीं यही इस फिल्म की कहानी है|
लक्ष्मी फिल्म मनोरंजन के साथ-साथ एक सामजिक सन्देश भी देती है| फिल्म के कई सशक्त पहलूँ है जिनमे से पहला है अक्षय कुमार का बेहतरीन काम | कॉमेडी हो, एक्शन या फिर हॉरर; अक्षय में अभिनय की बेमिसाल क्षमता भरी हुई है जिसका डायरेक्टर ने भरपूर फायदा उठाया है |
फिल्म में किआरा अडवाणी को अपेक्षाकृत छोटा रोल मिला है और पूरी फिल्म अक्षय कुमार के कंधे पर टिकी हुई है | ट्रांसजेंडर के रूप में शरद केलकर खूब जमे है| अश्विनी कलसेखर (Ashwini Kalsekar) का काम भी सराहनीय है |
फिल्म की कहानी राघव लॉरेंस ने लिखी है जिन्होंने कंचना की कहानी भी लिखी थी | जिस तरह राघव ने कंचना की कहानी को लिखा और निर्देशित किया था ठीक उसी तरह से ही उन्होंने हिंदी फिल्म को भी लिखा और डायरेक्ट किया |
यहाँ पर राघव थोड़ा मार खा गए | राघव ये समझने में नाकाम रहे की साउथ इंडियन की ऑडियंस और बॉलीवुड की ऑडियंस में थोड़ा फर्क है | इसलिए जब साउथ इंडियन फिल्म को हिंदी में बनाया जाता है तो उसमे बॉलीवुड ऑडियंस के हिसाब से थोड़े बदलाव किये जाते है खास कर कॉमेडी में |
साउथ की कॉमेडी और बॉलीवुड कॉमेडी में बहुत फर्क है | लेकिन इस फर्क को समझने में राघव काफी हद तक नाकाम रहे और उन्होंने लक्ष्मी को बॉलीवुड टच देने के बजाय साउथ इंडियन टच दे दिया | और यहीं पर वो अपनी ऑडियंस को खोने की गलती कर बैठे |
वैसे तो लक्ष्मी ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज़ हुई है जो दर्शको के लिए बहुत सुलभ है लेकिन साथ ही साथ यह फिल्म न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिआ तथा फिज़ी में कुछ सिलेक्टेड थिएटर में भी रिलीज़ हुई है | तो साउथ स्टाइल का खामियाज़ा कहीं न कहीं तो भुगतना ही पड़ेगा |
फिल्म का दूसरा कमजोर पहलू है फिल्म की लम्बाई का ज्यादा होना | राघव न सिर्फ एक बहुत उम्दा एक्टर है बल्कि साउथ में माने हुए डायरेक्टर भी है लेकिन उनके पास हिंदी फिल्मे डायरेक्ट करने का कोई अनुभव नहीं और इसी कारण वो बॉलीवुड ऑडियंस की नब्ज़ को ठीक से नहीं जान पाएं है |
कुछ सालों पहले जब अक्षय कुमार ने साउथ की ही एक फिल्म के हिंदी रीमेक भूल भुलैया में काम किया था तो डायरेक्टर प्रियदर्शन ने उस फिल्म को पूरी तरह बॉलीवुड टच दिया था और उस फिल्म को एक बेहतरीन हिंदी फिल्म बनाया था | फिल्म को दर्शको के साथ-साथ समीक्षकों ने भी खूब सराहा था| लेकिन लक्ष्मी के लिए ऐसा कह पाना थोड़ा मुश्किल होगा|
अगला पहलू है गीत संगीत | लक्ष्मी फिल्म का संगीत इस फिल्म का सशक्त पहलू नहीं कहा जा सकता है | फिल्म के गीत काम चलाऊं है और कई बार फिल्म की गति को बाधित करने का काम करते है | वहीँ दूसरी और भूल भुलैय्या में गीत संगीत शानदार था |
फिल्म में संगीत दिया है तनिष्क बागची, अनूप कुमार और शशि-ख़ुशी ने | फिल्म के गीतों को तनिष्क बागची जैसे म्यूजिक डायरेक्टर भी बेहतरीन नहीं बना पाए | इस से तो अच्छा था की फिल्म में गीतों को जबरदस्ती न ठूंसा जाता तो शायद ये फिल्म और बेहतरीन बन सकती थी |
हालांकि बुर्ज़ ख़लीफ़ा गीत सुपरहिट हो गया है लेकिन फिल्म के दौरान ये गीत भी फिल्म की गति को रोकने का ही काम करता है |
हालांकि लक्ष्मी एक अच्छी फिल्म है लेकिन इस फिल्म से दर्शको को बहुत ज्यादा उम्मीदें थी जो किसी भी हाल में पूरी होती हुई नहीं दिख रही है | ठीक ऐसा ही कुछ हाल रेस 3 के साथ हुआ था जहाँ फिल्म से बहुत ज्यादा उम्मीदें थी लेकिन फिल्म उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी थी| बावजूद इसके ये शायद सलमान खान के स्टारडम का ही नतीजा था की रेस 3 ने बॉक्स ऑफिस पर बेहतरीन प्रदर्शन किया था | अब देखना ये है की क्या अक्षय कुमार भी अपने स्टारडम के दम पर इस फिल्म को अभूतपूर्व सफलता दिला पाते है की नहीं |
IMDB पर अब तक 829 यूज़र्स ने इस फिल्म को अब तक औसतन 10 में से 3.9 रेटिंग दी है जो सही प्रतीत होती है | हालांकि बॉलीवुड प्रोडक्ट की ओर से हम थोड़ा बेहतर यानी 10 में से 5 की रेटिंग दे रहे है और उसका कारण है फिल्म में ढेरो कमियां होने के बाद भी फिल्म का एक हद तक अच्छा होना |